Detailed Notes on Shodashi

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दिव्यौघैर्मनुजौघ-सिद्ध-निवहैः सारूप्य-मुक्तिं गतैः ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥

The Shreechakra Yantra encourages the main advantages of this Mantra. It's not necessarily compulsory to meditate in front of this Yantra, however, if You should buy and use it in the course of meditation, it's going to give remarkable Added benefits to you. 

सर्वानन्द-मयेन मध्य-विलसच्छ्री-विनदुनाऽलङ्कृतम् ।

॥ इति श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः सम्पूर्णः ॥

यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे

यस्याः विश्वं समस्तं बहुतरविततं जायते कुण्डलिन्याः ।

सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।

रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥

श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥

, kind, through which she sits atop Shivas lap joined in union. Her traits are unrestricted, expressed by her five Shivas.  The throne on which she sits has as its legs the 5 sorts of Shiva, the well known Pancha Brahmas

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की more info स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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